लिखूं कुछ मैं भी....
लिखूं कुछ मैं भी,पर कलम में ज़ोर कहाँ से लाऊँ
उद्वेलित हो अंतर्मन वो शोर कहा से लाऊँ
और पीर उर की कही न जाये
पीर उर की कही न जाये रौशन से,
दूर करे जो उर का तम,वो भोर कहाँ से लाऊँ।
नवयौवन के नवरस से काव्य का
मैं भी श्रृंगार करूँ
नवकामना का नगर जो बसाये, वो विधा कहाँ से लाऊँ।
और मेरे शब्दों को गागर में सागर समझने वालों
ये तो बता दो......?
भर भर के शब्द जिसमे समाये वो गागर कहाँ से लाऊँ।
है काव्य की दुनिया बड़ी अनोखी
इसमे मन का मौन भी बोले
हर कवि कह रहा अपनी बीती
मन के धागे खोले,जिह्वा सबकी सिली हुई है
अक्षर अक्षर बोले
पर जीवन के सुगम मंच पर सबको गाना होगा
अपने जीवन के स्वप्न का यथार्थ पाना होगा,
और पाएंगे इस विश्वास को हम, वो आत्मविश्वास कहाँ से लाऊँ?
लिखूं कुछ मैं भी , पर कलम में ज़ोर कहाँ से लाऊँ?
कलम में ज़ोर कहाँ से लाऊँ?
रौशन💐
Zakirhusain Abbas Chougule
16-Sep-2021 09:54 AM
Very nice
Reply
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
10-Sep-2021 12:39 PM
Superb
Reply
Raushan
10-Sep-2021 08:25 PM
Bahut bahut shukriya Sir....Sab aapke karan hi sambhav ho raha hai.
Reply